प्रेरणा

क्या तुम स्वस्थ हो

शरीर जड़ है, इसलिए स्वास्थ्य की जिम्मेदारी उस पर नहीं पड़ती, पड़ती है मन पर। मन ही एक ऐसा प्रमुख यंत्र है, जो स्वदेव के आदेशों को वहन करता है। इस मन के बुद्धि, चित्त और अहंकार तीन साथी और हैं, जिनमें सबसे प्रबल साथी है अहंकार। इसलिए जब मन स्वदेव की बात न सुनकर अहंकार के आदेशों पर चलना आरंभ करता है, अस्वस्थता का तभी से श्रीगणेश होता है। जब तक बुद्धि पर स्वदेव की कृपा रहती है; तब तक मन के कार्यों पर बुद्धि विवेचना करती है; समालोचना करती है, पर जैसे-जैसे उनकी यह कृपा हटती जाती है अर्थात बुद्धि पर भी अहंकार का प्रभाव होता जाता है, वैसे-वैसे वह भी मन का समर्थन करना आरंभ कर देती है। और तब ये सब मिलकर खेल खेलते हैं। आत्मदेव का जब तक इनके साथ संपर्क रहता है, शक्तियाँ तो इन्हें मिलती हैं; क्योंकि ये लोग ज्ञान के स्रोत को बंद कर देते हैं, शक्ति का स्रोत तो जारी रहने देते हैं; लेकिन ज्ञान का स्रोत बंद कर देने पर शक्ति का स्रोत बहुत दिनों तक जारी नहीं रह सकता, इसलिए धीरे-धीरे शक्ति का ह्रास होता रहता है। लोग समझते हैं कि वे अस्वस्थ होते जा रहे हैं अर्थात स्व’ के साथ संबंध विच्छेद होना आरंभ हो गया है और फिर एक दिन आता है कि शक्ति का स्रोत भी बंद हो जाता है तब मृत्यु हो जाती है। मृत्यु क्या है? स्व के साथ संबंध विच्छेद ।

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