लाइफ स्टाइल

पाचन में गड़बड़ी से गंभीर रोगों का खतरा

तनाव, नींद की कमी, प्रोसेस्ड फूड, मीठे व्यंजन और एंटीबायोटिक्स दवाए आंत के माइक्रोबायोम को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इससे कई बार लोग इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम और गैस्ट्रोएसोफेगल बीमारी का शिकार हो जाते हैं।

LIFESTYLE: आंत के कमजोर होने से पाचन से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं, इसलिए इनका स्वस्थ होना अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अनियमित खानपान की आदतें और खराब जीवनशैली पाचन तंत्र को कमजोर बना रही है, जिससे आआंतों की बीमारियां हो रही हैं। इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी आंतों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चिकित्सकों के अनुसार, अगर आंत से जुड़ी कोई परेशानी है तो आप बुखार का शिकार हो सकते हैं। इसलिए आंतों में गड़बड़ी के लक्षणों को समय पर पहचानने की जरूरत है।

लक्षणों की पहचान लगातार पाचन तंत्र गड़गड़ रहने से पेट में गैस, अपच, सूजन, कब्ज, थकान और सांसों से दुर्गंध आने की समस्याएं हो सकती हैं। अपच होने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिससे बाल कमजोर होकर टूटने लगते हैं। इसके अलावा अगर आप वजन कम करने या बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं और लगातार मेहनत के बाद भी इसमें सफल नहीं हो पा रहे हैं तो यह ओत के सही ढंग से काम न करने के कारण भी हो सकता है। खानपान सही होने के बावजूद अगर दिनभर थकान रहती है तो यह भी आंत के अस्वस्थ होने का एक कित हो सकता है। अस्वस्थ आंत के कारण त्वचा की समस्याएं, सिर दर्द, नींद न आना और महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता हो सकती है। आंत के बैक्टीरिया प्रोटीन का खाव करते हैं, जो भूख की नियंत्रित करने वाले हामीन होते हैं। ये मूड और खाने की इच्छा को प्रभावित करते हैं, जिससे बार-बार मीठी चीजे खाने का मन होता है। इसलिए अगर मीठा खाने का अत्यधिक मन हो रहा है तो यह आंतों में गड़बड़ी का लक्षण हो सकता है।

■ ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा : आंतों की समस्या होने पर ऑटोइम्यून बीमारियां भी पैदा हो सकती है। आंत में बैक्टेरॉइड्स फैगिलिस बैक्टीरिया एक प्रोटीन का उत्पादन करता है, जो रूमेटाइड गठिया, अल्सरेटिव कोलाइटिस और मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी ऑटोइम्यून स्थितियों की शुरुआत कर सकता है।

■ मामूली नहीं है समस्या पाचन तंत्र दुरुस्त रहने से शरीर स्वस्थ रहता हैं ।कमजोर पाचन के कारण खाना ठीक से नहीं पचता है, जिससे मेटाबॉलिज्म धीमा होने लगता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। लंबे समय तक पाचन खराब रहने से शरीर में ऊर्जा काफी कम हो जाती है और मूड भी ठीक नहीं रहता है। कई लोग पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को मामूली समझते हैं, जिससे वे समस्याएं गंभीर बीमारी का रूप ले लेती हैं। दही और फर्मेटेड फूड आंतों में छोटे-छोटे बैक्टीरिया होते हैं, जो उन्हें स्वस्थ और मजबूत बनाने का काम करते हैं। इनको बढ़ाने के लिए आपको दही और फर्मेटेड फूड का सेवन करना चाहिए। आंतों की कमजोरी को दूर करने के लिए आपको सप्ताह में एक बार उपवास जरूर रखना चाहिए, ताकि आपकी आंतों को अच्छी तरह से साफ किया जा सके और आप पूरी तरह स्वस्थ रह सकें।

डाइट में बदलाव बहुत जरूरी

आंतों को स्वत्थ बनार रखने के लिए अपनी डाइट में बदलाव करते रहें। एक ही तरह का खाना हर रोज खाने से बचें। भोजन को निगलने से पहले उसे अच्छी तरह चडाएं। फल, सब्जियां, साबुत का सेवन करे। शराब फास्ट फूड और गसालेदार खाने का सेवन करने से बचें। 7-8 घंटे की नींद लें। आहार में फाइबर की नाज बढ़ाएं। हरी सब्ज़ियं, फल और नट्स को लाइट में शामिल करें। ।। पर्याप्त मुत्र में पानी का सेवन करें। खाना खाने के बाद 20-30 मिनट सैर जरूर करें। शरीर को डिटॉक्स करने के लिए कैफीन युक्त ड्रिंक के बजाय बिना सने ताजे फली के जूस का सेवन करें। यह विटामिन की कमी दूर करने के साथ फाइबर की जरूरत भी पूरी करेगा। इससे पेट साफ स्खने में काफी मदद मिलती है। इसके अलावा आप हर्बल टी, ग्रीन टी और नीडू पानी का सेवन भी कर सकते हैं। लगातर बनी रहने वाली पाचन समस्याओं के लिए चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

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